इतिहास का जानने के स्त्रोत
- पुरातत्व स्त्रोत
- अभिलेख
- सिक्के
- स्मारक
- चित्रकला
- साहित्यिक स्त्रोत
- देशी साहित्य
- धार्मिक
- ब्राह्मण साहित्य
- बौद्ध साहित्य
- जैन साहित्य
- गैर धार्मिक
- धार्मिक
- विदेशी साहित्य
- यूनानी
- चीनी
- अरबी
- देशी साहित्य
- भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की स्थापना – 1861 में (कनिंघम ने)
- राजस्थान में पुरातात्विक सर्वेक्षण कार्य की शुरूआत – 1871 में (कार्लाइल ने)
- अभिलेखों का अध्ययन – एपिग्राफी
- सिक्कों का अध्ययन – न्यूमेस्मेटिक्स
- राजस्थान का सबसे प्राचीन अभिलेख – बड़ली अभिलेख
- भारत का सबसे प्राचीन अभिलेख – अशोक मौर्य
- बड़ली का शिलालेख
- भिनाय (केकड़ी)
- लिपि – ब्राह्मी
- जैन धर्म की जानकारी देता है।
- घटियाला शिलालेख
- फलौदी – 861 ईं में (कुक्कुक ने)
- इसे माता की साल भी कहते है।
- लेखक – मारतिब मग
- अत्कीर्णकर्ता – कृष्णेश्वर
- राजस्थान में पहली बार सती प्रथा की जानकारी मिलती है।
- ओसियाँ का शिलालेख
- यह शिलालेख वर्ण व्यवस्था (ब्राह्मण, वैश्य, क्षेत्रीय, शुद्र) की जानकारी देता है।
- किराडू का शिलालेख
- हाथमा गांव, बाड़मेर (1161 ईं में)
- भाषा – संस्कृत
- परमारो की उत्पत्ति की जानकारी प्राप्त होती है।
- रणकपुर प्रशस्ति
- पाली (1439)
- शिल्पी – देपाक
- इसमें बप्पा रावल व काल भोज को अलग-अलग व्यक्ति बताया गया है।
- बीकानेर प्रशस्त्िा
- 1594 में, जूनागढ़ दुर्ग (बीकानेर)
- लेखक – जैता/जयता
- इसे रायसिंह प्रशस्ति भी कहते है।
- इसके दोनों तरफ जयमल व फत्ता की गजारूढ़ मूर्तियां भी लगी है।
- राव बीका से रायसिंह तक का उल्लेख।
- राज प्रशस्ति
- राजसंमद (1676)
- राजसमंद झील में नौचोकी पाल पर 25 काली पट्टिकाओं पर उत्कीर्ण है।
- एशिया की सबसे बड़ी प्रशस्ति है।
- भाषा – संस्कृत
- रचयिता – रणछोड़ भट्ट
- कुंभलगढ़ प्रशस्त्िा
- राजसमंद (1460)
- मामादेव कुण्ड के पास स्थित
- रचनाकार – महेश
- इसमें हम्मीर को विषमघाटी पंचानन बताया गया है।
- यह वर्तमान में उदयपुर संग्रहालय में है।
- माचेड़ी का शिलालेख
- जयपुर (1382)
- इसमें पहली बार बड़ गुर्जर शब्द का प्रयोग हुआ है।
- आमेर शिलालेख
- जयपुर (1612)
- इसमें कच्छवाहों को रघुवंश तिलक कहा गया है।
- बिजौलिया शिलालेख
- भीलवाड़ा (1170)
- लेखक – गुणभद्र
- उत्कीर्णकर्त्ता – गोविन्द
- इसमें चौहान शासकों को वत्स गोत्रीय विप्र (ब्राह्मण) बताया गया।
- इसके अनुसार वासुदेव ने चौहान वंश की स्थापना की। तथा झील निर्माण कराया।
- इसे जैन श्रावक लोलक ने लगवाया।
- वैद्यनाथ प्रशस्त्िा
- लेखक – रूपभट्ट
- इसके अनुसार हरित ऋषि के आशीर्वाद से बप्पा रावल को राज्य प्राप्त हुआ।
- जगन्नाथराय प्रशस्त्िा
- उदयपुर
- जगदीश मंदिर में उत्कीर्ण है।
- बप्पा रावल से राणा जगतसिंह तक उल्लेख है।
- लेखक- कृष्ण भट्ट
- अपराजित का शिलालेख
- नागदा
- कुंडेश्वर महादेव मंदिर में स्थित है।
- डॉ. जी.एच. ओझा ने इसे उदयपुर के विक्टोरिया हॉल संग्रहालय में रखवा दिया।
- डॉ. गौरीशंकर हीराचंद ओझा (राजस्थान के इतिहास का वास्तविक जनक।)
- शंकर घट्टा शिलालेख
- चित्तौड़गढ़
- मौर्य शासक मानमोरी की जानकारी देता है।
- इसमें शिव वंदना का उल्लेख मिलता है।
- मानमोरी शिलालेख
- चित्तौड़ के पास
- पुठोली गांव में।
- कर्नन जेम्स टॉड ने इसे इंग्लैण्ड ले जाते समय समुन्द्र में फेंक दिया।
- इसमें अमृत मंथन का उल्लेख् मिलता है।
- उत्कीर्णकर्त्ता – शिवादित्य
- गंगधर का लेख
- झालावाड़
- इसमें 5 वीं शताब्दी की सामंत व्यवस्था का उल्लेख है।
- बुचकला अभिलेख
- बिलाड़ा (जोधपुर)
- इसमें गुर्जर-प्रतिहारों का उल्लेख मिलता है।
- नागभट्ट द्वितीय के समय उत्कीर्ण है।
- नांदसा यूप लेख
- भीलवाड़ा
- यह एक तालाब में स्थित है।
- षष्ठीयज्ञ व अन्य यज्ञों की जानकारी मिलती है।
- यहां दो लेख मिलते है –
- 6 पंक्ति में
- 11 पंक्ति में
- बरनाला यूप अभिलेख
- गंगापुर सिटी
- वर्तमान में आमेर संग्रहालय में रखा हुआ है।
- इसमें वैष्णव सम्प्रदाय की जानकारी है।
- घोसुंडी का शिलालेख
- चित्तौड़ में
- वैष्णव संप्रदाय से संबंधित प्राचीन शिलालेख है।
- यह टुकड़ों में प्राप्त हुआ है।
- इसका एक टुकड़ा उदयपुर संग्रहालय में रखा हुआ है।
- लिपी – ब्राह्मी, भाषा – संस्कृत।
- कीर्तिस्तंभ प्रशस्ति
- चित्तौड़ दुर्ग में।
- रचनाकार – अत्रि पुत्र महेश
- इसमें कुंभो के ग्रंथों का उल्लेख मिलता है।
- कुंभा की उपाधियां भी मिलती है।
- श्रृंगी ऋषि लेख
- कैलाशपुरी (उदयपुर)
- राण मोकल के समया का उल्लेख मिलता है।
- राणा लाखा द्वारा गया में शिव मंदिर बनाने का उल्लेख मिलता है।
- अन्य शिलालेख
- रसिया की छत्री का शिलालेख – मेवाड़ के गुहिल वंशीय शासकों की जानकारी।
- कीर्तिस्तंभ – महाराणा कुंभा
- जूनागढ़ – महाराणा रायसिंह
- जगन्नाथराय प्रशस्ति – महाराजा जगतसिंह
- बिजौलिया शिलालेख – चौहान वंश
- सामोली शिलालेख – मेवाड़ के गुहिल वंश
- चीरवा शिलालेख – गुहिलवंशीय शासक
- ग्वालियर प्रशस्ति – मिहिर भोज प्रथम
- मानमोरी का लेख – पुष्य (नागभट्ट का पुत्र) उत्कीर्ण – शिवादित्य
- अपराजित के शिलालेख – दामोदर