शिलालेख

इतिहास का जानने के स्‍त्रोत

  1. पुरातत्‍व स्‍त्रोत
    1. अभिलेख            
    1. सिक्‍के
    1. स्‍मारक
    1. चित्रकला
  2. साहित्यिक स्‍त्रोत
    1. देशी साहित्‍य
      1. धार्मिक
        1. ब्राह्मण साहित्‍य
        1. बौद्ध साहित्‍य
        1. जैन साहित्‍य
      1. गैर धार्मिक
    1. विदेशी साहित्‍य
      1. यूनानी
      1. चीनी
      1. अरबी
  3. भारतीय पुरातत्‍व सर्वेक्षण विभाग की स्‍थापना – 1861 में (कनिंघम ने)
  4. राजस्‍थान में पुरातात्विक सर्वेक्षण कार्य की शुरूआत – 1871 में (कार्लाइल ने)
  5. अभिलेखों का अध्‍ययन – एपिग्राफी
  6. सिक्‍कों का अध्‍ययन – न्‍यूमेस्‍मेटिक्‍स
  7. राजस्‍थान का सबसे प्राचीन अभिलेख – बड़ली अभिलेख
  8. भारत का सबसे प्राचीन अभिलेख – अशोक मौर्य
  • बड़ली का शिलालेख 
    • भिनाय (केकड़ी)
    • लिपि – ब्राह्मी
    • जैन धर्म की जानकारी देता है।
  • घटियाला शिलालेख
    • फलौदी – 861 ईं में (कुक्कुक ने)
    • इसे माता की साल भी कहते है।
    • लेखक – मारतिब मग
    • अत्‍कीर्णकर्ता – कृष्‍णेश्‍वर
    • राजस्‍थान में पहली बार सती प्रथा की जानकारी मिलती है।
  • ओसियाँ का शिलालेख
    • यह शिलालेख वर्ण व्‍यवस्‍था (ब्राह्मण, वैश्‍य, क्षेत्रीय, शुद्र) की जानकारी देता है।  
  • किराडू का शिलालेख
    • हाथमा गांव, बाड़मेर (1161 ईं में)
    • भाषा – संस्‍कृत
    • परमारो की उत्‍पत्ति की जानकारी प्राप्‍त होती है।
  • रणकपुर प्रशस्ति
    • पाली (1439)
    • शिल्‍पी – देपाक
    • इसमें बप्‍पा रावल व काल भोज को अलग-अलग व्‍यक्ति बताया गया है।
  • बीकानेर प्रशस्त्‍िा
    • 1594 में, जूनागढ़ दुर्ग (बीकानेर)
    • लेखक – जैता/जयता
    • इसे रायसिंह प्रशस्ति भी कहते है।
    • इसके दोनों तरफ जयमल व फत्ता की गजारूढ़ मूर्तियां भी लगी है।
    • राव बीका से रायसिंह तक का उल्‍लेख।
  • राज प्रशस्ति
    • राजसंमद (1676)
    • राजसमंद झील में नौचोकी पाल पर 25 काली पट्टिकाओं पर उत्‍कीर्ण है।
    • एशिया की सबसे बड़ी प्रशस्ति है।
    • भाषा – संस्‍कृत
    • रचयिता – रणछोड़ भट्ट
  • कुंभलगढ़ प्रशस्त्‍िा
    • राजसमंद (1460)
    • मामादेव कुण्‍ड के पास स्थित
    • रचनाकार – महेश
    • इसमें हम्‍मीर को विषमघाटी पंचानन बताया गया है।
    • यह वर्तमान में उदयपुर संग्रहालय में है।
  • माचेड़ी का शिलालेख
    • जयपुर (1382)
    • इसमें पहली बार बड़ गुर्जर शब्‍द का प्रयोग हुआ है।
  • आमेर शिलालेख
    • जयपुर (1612)
    • इसमें कच्‍छवाहों को रघुवंश तिलक कहा गया है।
  • बिजौलिया शिलालेख
    • भीलवाड़ा (1170)
    • लेखक – गुणभद्र
    • उत्‍कीर्णकर्त्ता – गोविन्‍द
    • इसमें चौहान शासकों को वत्‍स गोत्रीय विप्र (ब्राह्मण) बताया गया।
    • इसके अनुसार वासुदेव ने चौहान वंश की स्‍थापना की। तथा झील निर्माण कराया।
    • इसे जैन श्रावक लोलक ने लगवाया।
  • वैद्यनाथ प्रशस्त्‍िा
    • लेखक – रूपभट्ट
    • इसके अनुसार हरित ऋषि के आशीर्वाद से बप्‍पा रावल को राज्‍य प्राप्‍त हुआ।
  • जगन्‍नाथराय प्रशस्त्‍िा
    • उदयपुर
    • जगदीश मंदिर में उत्‍कीर्ण है।
    • बप्‍पा रावल से राणा जगतसिंह तक उल्‍लेख है।
    • लेखक- कृष्‍ण भट्ट
  • अपराजित का शिलालेख
    • नागदा
    • कुंडेश्‍वर महादेव मंदिर में स्थित है।
    • डॉ. जी.एच. ओझा ने इसे उदयपुर के विक्‍टोरिया हॉल संग्रहालय में रखवा दिया।
    • डॉ. गौरीशंकर हीराचंद ओझा (राजस्‍थान के इतिहास का वास्‍तविक जनक।)
  • शंकर घट्टा शिलालेख
    • चित्तौड़गढ़
    • मौर्य शासक मानमोरी की जानकारी देता है।
    • इसमें शिव वंदना का उल्‍लेख मिलता है।
  • मानमोरी शिलालेख
    • चित्तौड़ के पास
    • पुठोली गांव में।
    • कर्नन जेम्‍स टॉड ने इसे इंग्‍लैण्‍ड ले जाते समय समुन्‍द्र में फेंक दिया।
    • इसमें अमृत मंथन का उल्‍लेख्‍ मिलता है।
    • उत्‍कीर्णकर्त्ता – शिवादित्‍य
  • गंगधर का लेख
    • झालावाड़
    • इसमें 5 वीं शताब्‍दी की सामंत व्‍यवस्‍था का उल्‍लेख है।
  • बुचकला अभिलेख
    • बिलाड़ा (जोधपुर)
    • इसमें गुर्जर-प्रतिहारों का उल्‍लेख मिलता है।
    • नागभट्ट द्वितीय के समय उत्‍कीर्ण है।
  • नांदसा यूप लेख
    • भीलवाड़ा
    • यह एक तालाब में स्थित है।
    • षष्‍ठीयज्ञ व अन्‍य यज्ञों की जानकारी मिलती है।
    • यहां दो लेख मिलते है –
      • 6 पंक्ति में
      • 11 पंक्ति में
  • बरनाला यूप अभिलेख
    • गंगापुर सिटी
    • वर्तमान में आमेर संग्रहालय में रखा हुआ है।
    • इसमें वैष्‍णव सम्‍प्रदाय की जानकारी है।
  • घोसुंडी का शिलालेख
    • चित्तौड़ में
    • वैष्‍णव संप्रदाय से संबंधित प्राचीन शिलालेख है।
    • यह टुकड़ों में प्राप्‍त हुआ है।
    • इसका एक टुकड़ा उदयपुर संग्रहालय में रखा हुआ है।
      • लिपी – ब्राह्मी, भाषा – संस्‍कृत।
  • कीर्तिस्‍तंभ प्रशस्ति
    • चित्तौड़ दुर्ग में।
    • रचनाकार – अत्रि पुत्र महेश
    •  इसमें कुंभो के ग्रंथों का उल्‍लेख मिलता है।
    • कुंभा की उपाधियां भी मिलती है।
  • श्रृंगी ऋषि लेख
    • कैलाशपुरी (उदयपुर)
    • राण मोकल के समया का उल्‍लेख मिलता है।
    • राणा लाखा द्वारा गया में शिव मंदिर बनाने का उल्‍लेख मिलता है।
  • अन्‍य शिलालेख
    • रसिया की छत्री का शिलालेख – मेवाड़ के गुहिल वंशीय शासकों की जानकारी।
    • कीर्तिस्‍तंभ – महाराणा कुंभा
    • जूनागढ़ – महाराणा रायसिंह
    • जगन्‍नाथराय प्रशस्ति – महाराजा जगतसिंह
    • बिजौलिया शिलालेख – चौहान वंश
    • सामोली शिलालेख – मेवाड़ के गुहिल वंश
    • चीरवा शिलालेख – गुहिलवंशीय शासक
    • ग्‍वालियर प्रशस्ति – मिहिर भोज प्रथम
    • मानमोरी का लेख – पुष्‍य (नागभट्ट का पुत्र) उत्‍कीर्ण – शिवादित्‍य
    • अपराजित के शिलालेख – दामोदर

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