विधायिका या व्‍यवस्‍थापिका या संसद

(कानुन निर्माण वाला सर्वोच्‍य निकाय विधायिका या व्‍यवस्‍थापिका कहलाता है। )

अनुच्‍छेद 80  – 123

– अनुच्‍छेद 79 – भारत की एक संसद होगी।

– संसद के अंग 3 – राष्‍ट्रपति व लोक सभा तथा राज्‍य सभा

– संसद के सदन 2 – लोकसभा व राज्‍य सभा

– संसद भवन के वास्‍तुकार – एडवीन ल्‍यूटियस और हरबर्ट बेकंर

लोकसभा

(अनुच्‍छेद – 81)

उपनाम :- जनता का सदन, प्रथम सदन, निर्वाचन सदन, लोकप्रिय सदन और अस्‍थायी सदन

– सर्वाधिक लोकसभा सीटों वाले राज्‍य

       उत्तरप्रदेश – 80

       महाराष्‍ट्र – 48

       पश्चिमी बंगाल – 42

       बिहार – 40

       राजस्‍थान – 25

– मूल संविधन में सदस्‍य संख्‍या – 500

       अधिकतम – 552

(राज्‍यों से अधिकतम – 530, संघ शासित प्रदेशों से 20, आंग्‍ल भारतीय समूदाय 2)

– वर्तमान में लोकसभा सदस्‍या संख्‍या – 545

       104 वाँ संविधान संशोधन 2019-20 के तहत मनोनयन सदस्‍यों की सीटों का निष्‍प्रभावी कर दिया गया।

– लोकसभा सदस्‍यों का निर्वाचन

       चुनाव प्रणाली – Past the Past

       निर्वाचन – जनता के द्वारा प्रत्‍यक्ष रूप से सार्वभौमिक वयस्‍क मताधिकार गुप्‍त मतदान व साधारण बहुमत प्रणाली।

– मनोनयन

       अनुच्‍छेद – 331

       राष्‍ट्रपति आंग्‍ल भारतीयों से दो सदस्‍यों का मनोनयन करेगा।

नोट :- 104 वाँ संविधान संशोधन 2019-20 के तहत मनोनयन सदस्‍यों की सीटों का निष्‍प्रभावी कर दिया गया।

– लोकसभा सदस्‍यों की योग्‍यता – न्‍यूनतम आयु – 25 वर्ष

– कार्यकाल – सामान्‍यत: 5 वर्ष

       अस्‍थायी सदन – राष्‍ट्रपति द्वारा भंग या निलम्बित किया जा सकता है।

– लोकसभा के अधिवेशन

       एक वर्ष में कम से कम दो बार

       प्रथम अधिवेशन के आखिरी दिन व द्वितीय अधिवेशन के प्रथम दिन के मध्‍य 6 माह से ज्‍यादा का अंतर नहीं हो।

       गणपूर्ति – 1/10

– लोकसभा के पदाधिकारी

       उल्‍लेख – अनुच्‍छेद 93 में (अध्‍यक्ष और उपाध्‍यक्ष)

– अनुच्‍छेद 94 – लोकसभा के पदाधिकारियों को पद से हटाना।

– अनुच्‍छेद 95 – पदाधिकारियों के कार्य

       1. सदन में शांति व अनुशासन बनाए रखना/

       2. सदस्‍यों को विषय पर बोलने की अनुमति। 

       3. धन विधेयक का निर्धारण।

       4. दल-बदल संबंधी उयोग्‍यताओं का निर्धारण

– लोकसभा अध्‍यक्ष

       1. जी.वी. मालंकर – भारतीय संसद के पितामाह, पद पर रहते हुए मृत्‍यु

       2. बलराम जाखड़ – सबसे लम्‍बा कार्यकाल

       3. बलिराम भगत – सबसे कम कार्यकाल

4. मीरा कुमार (सांसियागंज -बिहार) – पहली महिला लोकसभा अध्‍यक्ष, 15 लोकसभा में अध्‍यक्ष

5. सुमित्रा महाजन (इंदौर – मध्‍यप्रदेश)- दुसरी महिला लोकसभा अध्‍यक्ष

6. ओम बिडला (कोटा) – वर्तमान लोकसभा अध्‍यक्ष

7.

* लोकसभा अध्‍यक्ष अपना त्‍यागपत्र अपाध्‍यक्ष को देता है, और उपाध्‍यक्ष, अध्‍यक्ष को देता है।

राज्‍यसभा

(अनुच्‍छेद – 80)

– उपनाम – राज्‍यों की सभा, मनोनित सदन, उच्‍च सदन

– सदस्‍य संख्‍या – 250 अधिकतम (निर्वाचित- 238 व मनोनित- 12)

       वर्तमान में सदस्‍या संख्‍या – 245 (निर्वाचित 233 व मनोनित -12)

– निर्वाचन : जनता द्वारा अप्रत्‍यक्ष रूप से आनुपातिक प्रतिनिधित्‍व की एकल संक्रमणीय मत प्रणाली द्वारा राज्‍य की विधान सभा के सदस्‍यों द्वारा।

– योग्‍यता : न्‍युनतम आयु – 30 वर्ष

– कार्यकाल :  6 वर्ष सदस्‍यों का (प्रति 2 वर्ष के बाद 1/3 सदस्‍य अपना कार्यकाल पुरा करते हैं।

(किसी बैठक के लिए न्‍यूनतम सदस्‍यों की उपस्थिती गणपुर्ति या कोरम कहलाती है।)

– गणपूर्ति : 1/10

– अधिवेशन : एक वर्ष में 2 बार

– पदाधिकारी : पदेन सभापति व उपसभापति (उल्‍लेख – अनुच्‍छेद – 89)

– कार्य : अनुच्‍छेद 91

       1. शांति व कानुन बनाएं रखना।

       2. विषय पर बोलने की अनुमति।

       3. दल-बदल सं‍बंधी अयोग्‍यताओं का निर्धारण।

– प्रथम पदेन सभापति – सर्वपल्‍ली राधाकृष्‍ण व उपसभापति – एस.वी. कृष्‍णमुर्ति

– वर्तमान पदेन सभापति – जगदीप धनखड़ व उपसभापति – हरिवंश

– राजस्‍थान से राज्‍यसभा में अबतक एक सदस्‍य मनोनित हुआ, डॉ. नारायण सिंह माणकलाव(2003-09), इन्‍होनें नशा मुक्ति अभियान चलाया।

– सर्वाधिक राज्‍यसभा सीटें – उत्तरप्रदेश – 31

– राजस्‍थान में राज्‍यसभा सीटे – 10

– राज्‍ससभा में राजनीतिक आरक्षण नहीं है।

– राज्‍यसभा स्‍थायी सदन है, इसे राष्‍ट्रपति द्वारा भंग या निलम्बित नहीं किया जा सकता ।  

संसद की शक्तियाँ

  • दोनों सदनों की समान शक्तियाँ –
  • साधारण विधेयक के सम्‍बंध में – साधारण विधेयक संसद के किसी भी सदन में रखा जा सकता है, साधारण विधेयक को लेकर दोनों सदनों में गतिरोधा पैदा होने पर अनुच्‍छेद 108 के तहत राष्‍ट्रपति संयुक्‍त अधिवेशन बुलाता है। संयुक्‍त अधिवेशनकी अध्‍यक्षता लोकसभा अध्‍यक्ष /अपाध्‍यक्ष/ राज्‍यसभा का उप सभापति करता है। अब तक 3 बार संयुक्‍त अधिवेशन बुलाया गया।
  • मई 1961 – दहेज निवारक विधेयक – ए.एस. अय्यागंर
  • मई 1978 – बैंकिग सेवाविधेयक – के.एस. हेगड़े
  • मार्च 2002 – POTA पी.एम. सईय्द (उपाध्‍यक्ष)
  •  
  • निर्वाचन के संबंध में – दोनों सदनों के सभी सदस्‍या अपराष्‍ट्रपतिका चुनाव करते है।  दोनों सदनों के निर्वाचित सदस्‍या राष्‍ट्रपति के चुनाव में भाग लेते है।
  • लोकसभा की विशेष शक्ति –

1. सरकार पर नियंत्रण सम्‍बधित – सरकार सामु‍हिक रूप से निमन सदन के प्रति उत्तरदायी होती है, अंत सरकार पर निम्‍न के माध्‍यम से नियत्रंण रखा जाता है।

                     1. प्रश्‍न व पूरक प्रश्‍न पूछकर

                           क. ताराकिंत (उत्तर मौखिक)

                           ख. अताराकिंत (उत्तर लिखित)

                           ग. अल्‍प सूचना  

                     2. निंदा प्रस्‍ताव द्वारा

                     3. कटौती प्रस्‍ताव द्वारा

                     4. ध्‍यानाकर्षण प्रस्‍ताव

                     5. कामरोको प्रस्‍ताव

* प्रश्‍न कैसा है, इसका निर्धारण अध्‍यक्ष करता है।

2. धनविधेयक के सम्‍बन्‍ध में – धन विधेयक की परिभाषा अनुच्‍छेद 110 में उल्‍लेखित है-

– धन विधेयक राष्‍ट्रपति की पूर्वस्‍वीकृति से निम्‍न सदन/ लोकसभा में रखा जायेगा।

– कोई विधेयक धन विधेयक है या नहीं इसका निर्धारण लोकसभा अध्‍यक्ष करता है।

– लोकसभा द्वारा पारित धन विध्‍येक को राज्‍यसभा अपनी सिफारिशो सहित 14 दिन मे भितर पारित कर दे नहीं तो स्‍वत पारित मान लिया जायेगा।

– राष्‍ट्रपति धनविधेयक पुर्नविचार हेतु नहीं लौटा सकता।

ग. राज्‍यसभा की विशेष शक्ति –

       1. अनुच्‍छेद 249 

– राज्‍यसभा राज्‍यसुची के किसी विषय को 1 वर्ष के लिए राष्‍ट्रीय महत्‍व का विषय घोषित कर सकती है।

–  जब कोई विषय राष्‍ट्रीय महतव का हो, तो उस दौरान केन्‍द्र सरकार कानुन निर्माण करेगी।

–  1 वर्ष बाद पुन: उसी विषय को राष्‍ट्रीय महतव का विषय धोषित किया जा सकता है।

       2. अनुच्‍छेद 312

– राज्‍यसभा अखिल भारतीय सेवाओं का सर्जन करेगी, वर्तमान मे 3 (IAS, IPS, IFS)

– अखिल भारतीय सेवाओं से तात्‍पय्र है, जिनका केन्‍द्र व राज्‍य दोनों के लिए समान महत्‍व है।

लोकसभा से संबंधी तथ्‍य

– प्र‍थम लोकसभा – 1952-1957

– प्रथम लोकसभा में 489 सीटों चुनाव हुए ।

– 13 मई 1952 को पहली बैठक हुई ।

– समय पूर्व भंग होने वाली लोकसभा – चौथी

– पाँचवी लोकसभा का कार्यकाल 5 वर्ष से ज्‍यादा रहा ।

18 वीं लोकसभा 2024 से अब तक

संसद की समीतियाँ

  1. तदर्थ समीति – विशिष्‍ट उद्देश्‍य के लिए गठन
  2. स्‍थायी समीति
    1. लोकलेखा / जनलेखा समीति (PAC) – यह संसद की एक स्‍थाई समीति है, इसमें कुल 22 सदस्‍य होते है, जिनमें से 12 सदस्‍य लोकसभा से चुने जाते है, तथा 7 सदस्‍यों के नाम राज्‍यसभा से निर्दिष्‍ट होते है। समीति कार्यकाल 1 वर्ष का होता है। प्रतिवर्ष नई समीति का गठन किया जाना आवश्‍यक है। सर्वप्रथम गठन 1921 में हुआ था। कार्य – CAG के प्रतिवेदन की जॉंच करना। वर्तमान अध्‍यक्ष –

* 1967 से परम्‍परा है कि समीति का अध्‍यक्ष विपक्ष से होगा।

  • प्राकंलन समीति – यह संसद की स्‍थाई समीति है, इनमें कुल 30 सदस्‍य होते है। समीति का गठन 1950 में  तत्‍कालीन वित्तमंत्री जॉन मथाई की सिफारिशा पर किया गया। इसका कार्यकाल – 1 वर्ष होता है। वर्तमान अध्‍यक्ष –

* लोकलेखा व प्राकलन समीति में धनिष्‍ट संबंध है, अत: इन्‍हें संसद की जुड़वा बहिन कहा जाता है तथा रखवाले कुत्ते की संज्ञा दी गई है।

प्रश्‍न काल – संसदीय कार्यवाही का प्रारम्भिक समय जिसमें पूर्व सुचना के आधार पर प्रश्‍न पुछेजाते है। ( समय – सामान्‍यत 11 AM से 12PM तक)

शून्‍यकाल – संसदीय कार्यवाही का दुसरा पहर जिसमें बिना पूर्व सूचना के प्रश्‍न पूछे जाते है।

                     राजस्‍थान से सम्‍बधित महत्‍वपूर्ण तथ्‍य

– शारदा भार्गव – राजस्‍थान से पहली महिला सांसद, राजस्‍थान से पहली महिला राज्‍यसभा सदस्‍य।

– गायत्री देवी (जयपुर) – राजस्‍थान से पहली महिला लोकसभा सदस्‍य । 

– कालुराम श्री मालू – केन्द्रिय मंत्रीपरिषद में शामिल राजस्‍थान से पहले मंत्री ।

– गिरजा व्‍यास – केन्द्रिय मंत्रीपरिषद में शामिल राजस्‍थान से पहली महिला मंत्री ।

– वसुन्‍ध्‍रा राजे – राजस्‍थान से सर्वाधिक बार चुनी जाने वाली महिला सासंद

              – 1988 – 91 – 9 वीं लोकसभा (झालावाड़ा)

              – 1991 – 96 – 10 वीं लोकसभा (झालावाड़ा)

              – 1996 – 98 -11 वीं लोकसभा (झालावाड़ा)

              – 1998 – 99 – ।2 वीं लोकसभा (झालावाड़ा)

              –  1999 – 2003 – 13 वीं लोकसभा (झालावाड़ा)

– उषा देवी मीणा (सवाई माधोपुर) – अनुसुचित जनजाति की राजस्‍थान की पहली महिला सांसद

– सुशील बंगारू लक्षमण (जालौर) – अनुसुचित जाति की राजस्‍थान से पहली  महिला सांसद

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